मानसी सोनी–नरेंद्र मोदी संबंध: “स्नूपगेट” कांड का अवलोकन

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मुख्य निष्कर्ष: 2009–10 में गुजरात सरकार के तहत हुई कथित जासूसी (Snoopgate) में, आर्किटेक्ट मानसी सोनी के व्यक्तिगत और परिवार संबंधी जीवन पर अवैध रूप से निगरानी रखने का आरोप तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर लगा था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में आईएएस प्रदीप शर्मा के हलफनामे से खुलासा हुआ, पर आधिकारिक जांच पूरी तरह निष्पक्ष नहीं मानने और कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण आज तक अनसुलझा बना हुआ है।

पृष्ठभूमि एवं प्रमुख आरोप

  1. मानसी सोनी, एक बेंगलुरु स्थित युवती-आर्किटेक्ट, को गुजरात सरकार द्वारा फोन टैपिंग, फिजिकल सर्विलांस और लोकेशन ट्रैकिंग के दायरे में रखा गया।
  2. यह जासूसी 22 अगस्त 2009 को मानसी के बेंगलुरु आगमन के अवसर पर भी जारी रही, जब गुजरात पुलिस ने उनकी लोकेशन “नॉर्थ बेंगलुरु” के रूप में रिकॉर्ड की1।
  3. आईएएस प्रदीप शर्मा ने 6 जनवरी 2014 को गैंधीनगर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रयास किया, जिसमें उन्होंने मोदी–शाह टीम पर अवैध फोन-टैपिंग और अनाधिकृत सर्विलांस का आरोप लगाया2

सुप्रीम कोर्ट हलफनामा

  • प्रदीप शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए बताया कि गुजरात सरकार की सर्वोच्च संस्था ने स्वयं की शक्तियों का दुरुपयोग कर मानसी व उनके परिवार की निजी जानकारी छीनने का आदेश दिया।
  • उन्होंने दावा किया कि मानसी के पिता प्रणलाल सोनी के मर्जी से यह निगरानी की गई, पर परिवार के सभी सदस्यों का सर्विलांस “सिक्योरिटी” बहाने से कहीं परे था3

लीक ऑडियो टेप्स और “कोबरा पोस्ट”

  • 2013 में “कोबरा पोस्ट” और “गुलेल” पोर्टल पर लीक हुए ऑडियो टेप्स में अमित शाह और आईपीएस जीएस हंगल के बीच बातचीत में “साहब” (जिसकी पहचान मोदी से की गई) द्वारा मानसी सोनी व उनके परिवार की गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश सुनाई देते हैं।1
  • तफ्तीश आयोग की रिपोर्ट में पारिवारिक सुरक्षा की औपचारिक पुष्टि की गई, लेकिन पीड़ितों व प्रदीप शर्मा ने इस दावे को खारिज किया कि यह निगरानी सिर्फ “सुरक्षा” के लिए थी।

कानूनी स्थिति एवं निष्कर्ष

वर्षघटनाक्रमस्थिति
2009सर्विलांस शुरूगुजरात पुलिस ने फोन टैपिंग व लोकेशन ट्रैकिंग की शुरुआत की1
2011प्रदीप शर्मा का सुप्रीम कोर्ट हलफनामाअवैध जासूसी का आरोप आधिकारिक रूप से दर्ज3
2013“कोबरा पोस्ट” टेप्स लीकलीक ऑडियो में “साहब” के निर्देश सुनाई दिए1
2014पुलिस शिकायतFIR दर्ज न होने से मामला लंबित रहा2
वर्तमानकोई सार्वजनिक मुकदमा नहींआधिकारिक जांच आयोग रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं, निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई

आज तक गुजरात सरकार की ओर से गठित आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई और केंद्र या सर्वोच्च न्यायालय स्तर पर इस मामले में कोई स्वतंत्र जांच नहीं हुई। राजनीतिक दबाव एवं संवेदनशीलता के चलते “स्नूपगेट” मामला अनसुलझा ही रह गया है।

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